Aryan Pankaj

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राम मंदिर के लिए खुश अपने ही साथियों पर कथित असली रंग दिखा देने का आरोप लगा रहे मक्कार वामपंथी – लिबरलों के नाम एक खुला पत्र

हे निर्लज्ज कपटी वामपंथियों और लिबरलों,

जय श्री राम।

22 जनवरी को भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद तुम वामपंथी लिबरलों ने अभूतपूर्व मक्कारी का प्रदर्शन किया। वैसे तो वामपंथियों और लिबरलों का तुम्हारा ये गिरोह दोगलेपन और मक्कारी के लिए ही जाना जाता है, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के बाद तुम लोगों ने जिस तरह से खुशी मना रहे अपने हिंदु साथियों को गरियाने का कुत्सित प्रयास किया वह दिखाता है कि तुम्हारी मक्कारी एक नए स्तर पर पहुँच चुकी है।

अयोध्या में राममंदिर का लोकार्पण होने के साथ ही तुम्हारे गिरोह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर लिखना शुरू कर दिया कि आज बहुत सारे लोगों ने अपना असली रंग दिखा दिया। तुम लोग ऐसा अपने ही उन साथियों के लिए लिख रहे थे जो राम मंदिर के लोकार्पण पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे। यानि कि तुम जैसे निर्लज्ज लोगों को बुरा ना लग जाए इसलिए हम सोशल मीडिया पर अपनी खुशी भी व्यक्त ना करें। मक्कारी और घटियापने का ये अप्रतिम उदाहरण है, जबकि तुम वही निर्लज्ज लोग हो ना जो कुछ समय पहले तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर विधवा विलाप करते हुए पाए जाते थे।

एक बार को सरकार पर तुम्हारी आलोचना को स्वीकार किया भी जा सकता है, कि चलो भले असंवैधानिक है लेकिन प्रस्तावना में सेकुलर शब्द है तो सही। लेकिन इस आधार पर अपने आपको सरकार की आलोचना तक ही सीमित रखना था ना। पर तुम तो गरियाने लगे अपने ही साथियों को कि भई बहुत से लोगों ने अपने रंग दिखा दिए। मक्कारी के ऐसे भौंडे प्रदर्शन उम्मीद तुम वामपंथियों – लिबरलों से ही की जा सकती है।

और रही बात रंग दिखाने की तो जितना दोगलापन तुम अपने चरित्र में लेकर घूमते हो उसकी तो किसी से तुलना करना भी बेमानी है। कभी तुम्हारे गिरोह के लोग इंदिरा गांधी के आपातकाल का समर्थन किए थे और आज तुम अघोषित आपातकाल का आरोप लगाते हो। नेताजी बोस को तोजो का कुत्ता बोलने वाले, भारत को आजादी के बाद अनेक देशों में बांटने की मांग करने वाले, आज रंग दिखा देने की बात करते हो।

हे निर्लज्ज वामपंथियों, मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ इतनी मक्कारी कहाँ से लाते हो? और क्या तुम्हें इस मक्कारी का प्रदर्शन करते हुए जरा भी लज्जा का अनुभव नहीं होता?

तुम आज अपने साथियों पर रंग दिखाने का आरोप लगा रहे हो, जबकि वास्तविकता यह है कि तुमने सांप की तरह अपनी केंचुली उतार फेंकी है। कुछ समय पहले तक तुम लोग ही थे जो कहते थे कि सुप्रीम कोर्ट जो फैसला देगा वो सर्वमान्य होगा। फिर आज सनातनियों के खुशी मनाने का विरोध क्यों? फैसला सही था या गलत मैं इस बहस में नहीं पडता, लेकिन क्या तुम लोगों के तथाकथित सेकुलरिज्म के लिए और तुम जैसे मक्कारों को बुरा ना लग जाए इसलिए हम खुश होना छोड दें? क्या हम अपनी खुशी को सोशल मीडिया पर अभिव्यक्त ना करें?

दोगलेपन और मक्कारी की पराकाष्ठा पर पहुँचे, हे वामपंथियों, तुम्हारी आत्मा मर चुकी है बस शरीर ही इस धरा पर भटक रहा है। ऐसे में हम प्रभु श्री राम से तुम्हारी मरी हुई आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना ही कर सकते हैं बस।

बाकि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा और लोकार्पण से तुम लोगों के स्थान विशेष में लगी आग से हमें असीम आनंद की अनुभूति हुई है। इसलिए दो दिनों से जो ज्ञान हमें दे रहे हो उस का एक प्रिन्ट निकलवाओ और आगे क्या करना है वह तुम जानते ही हो।