कुछ समय पहले एक परिचित फेमिनिस्ट कूल डूडनी का एक वॉट्सएप स्टेट्स देखा था। इसमें मोहतरमा ने लिखा था – “All men are potential rapists”, मतलब सारे पुरुष संभावित बलात्कारी हैं। उस समय मैं सोच रहा था कि दीदी ने ऐसा क्यों लिखा होगा? हालांकि जैसा हम पुरुषों की आदत होती हैं नजरअंदाज करके आगे बढ जाने की, वैसा ही उस समय मैंने भी किया। कभी सोचा ही नहीं कि इस तरह के वक्तव्यों के पीछे इन कथित कूल डूडनियों की क्या मानसिकता हो सकती है और इनको जवाब दिया जाना चाहिएI
समय के साथ मुझे ये तो समझ आ गया है कि वामपंथियों, कम्यूनिस्टों और फेमिनिस्टों को जवाब देने या फिर कुछ समझाने से बेहतर है किसी भैंस के आगे बीन बजा ली जाए। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि भैंस के आगे बीन बजाने पर आपको निश्चित ही आनंद का अनुभव होगा जबकि उपरोक्त तीन प्रजाति के जंतुओं के साथ किसी भी तरह की चर्चा में आप अपना सिर फोड लेंगे लेकिन ये आपकी बात नहीं मानेंगे।
खैर मुद्दे पर वापस आते हैं। उस समय उत्तरप्रदेश में बलात्कार का एक मामला सामने आया था। मीडिया में काफी हंगामा था और कम्युनिस्ट – फेमिनिस्ट जीव जंतु भी काफी उछल कूद कर रहे थे। यहाँ एक बात मैं साफ कर दूँ कि इस तरह के अपराधियों के साथ किसी की भी सहानुभूति नही, लेकिन जितना मैं इस कम्युनिस्ट – फेमिनिस्ट जमात को जानता हूँ इन्हें पीडित से कोई सहानुभूति नहीं होती। बल्कि ये लोग चाहते हैं कि समाज में ऐसी घटनाएँ होती रहें ताकि इनका कुछ महत्व बना रहे। वरना लोकतंत्र में तो इनकी औकात दशमलव दस प्रतिशत की भी नहीं है आप जानते ही हैं।
अब उत्तरप्रदेश की उस घटना और उस पर मचे हंगामें के कारण दीदी ने घोषित कर दिया कि सारे पुरुष संभावित बलात्कारी होते हैं। लेकिन सिर्फ बलात्कारी क्यों? माल्या, नीरव मोदी जैसे लोग देश का पैसा लेकर भाग गए तो सारे पुरुष संभावित चोर क्यों नहीं? दुनिया भर में सैकडों आतंकी घटनाओं में पुरुष शामिल होते हैं तो सारे पुरुष संभावित आतंकी क्यों नहीं? इनके अलावा भी ऐसे सैकडों अपराध होंगे जिन पर ऐसा बोला जा सकता है, लेकिन नहीं बोला गया। फिर सिर्फ बलात्कार की घटना पर ऐसा क्यों बोला गया?
दरअसल होता ये है कि बलात्कार ही ऐसा एक अपराध है जिसके मामले अधिकतम पुरुषों के विरुद्ध ही दर्ज होते हैं। ऐसा नही है कि भारत में महिलाओं द्वारा पुरुषों के साथ बलात्कार की घटनाएँ नहीं होती। हाल के वर्षों में ऐसे अनेकों मामले सामने आए हैं जहाँ पुरुषों ने महिलाओं पर जबरन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है। लेकिन हमारे समाज का जो स्वरूप है उसके कारण ऐसा कम ही होता है कि पुरुष अपने साथ घटी इस तरह की घटनाओं को दर्ज करवाएं। भारतीय समाज की इसी स्थिति का फायदा ये फेमिनिस्ट कूल डूड और डूडनियां उठाते हैं और ऐसे बकवास वक्तव्य लेकर आते हैं।
ये तो एक बात हुई। अब इसी मुद्दे को एक दूसरे नजरिए से देखते हैं। अगर बलात्कार की कुछ घटनाओं के आधार पर ये दावा किया जा सकता है कि सारे पुरुष संभावित बलात्कारी हैं तो फिर ऐसे ही कुछ दावे कुछ घटनाओं के आधार पर समस्त महिला जाति के लिए भी किए जा सकते हैं। हाल ही की कुछ ऐसी घटनाओं पर एक नजर डालिए –
1. एम्स दिल्ली की एक डॉक्टर ने कुछ साल पहले नोएडा में एक बुजुर्ग दंपत्ति का घर किराए पर लिया। यह दंपत्ति दिल्ली में रहता है और अब अपने मकान में नोएडा रहना चाहता है। लेकिन डॉक्टर साहिबा ने घर खाली कराने से मना कर दिया। अब बुजुर्ग दंपत्ति अपने ही घर में रहने के लिए अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं और डॉक्टर साहिबा छेडखानी के झूठे मामले में फंसा देने की धमकी दे रहीं हैं।
2. नीचे वीडियो में कुछ बैंक कर्मचारी लोन रिकवरी के लिए एक घर में जाते हैं। महिला जो संभवतः इसका भुगतान नहीं करना चाहती उनके साथ झगडा करती है और देखते ही देखते अपने कपडे फाडकर बैंककर्मियों छेडखानी का आरोप लगाने की धमकी देती है। शुक्र है ये लोग अपने मोबाइल कैमरा में इस घटना को रिकॉर्ड कर पाए वर्ना जैसे भारतीय कानून हैं ये बेचारे अपनी जमानत के लिए भी तरस जाते।
ऐसी अनेकों घटनाएँ हर रोज सामने आती रहती हैं जहाँ महिलाएँ बलात्कार और छेडखानी जैसे आरोप लगा देने की धमकी देकर ब्लैकमेल करती हैं। यहाँ तक कुछ महिलाओं ने तो इसे धंधा ही बना लिया। जयपुर, दिल्ली और गुरुग्राम की तीन ऐसी लडकियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है जो बलात्कार के आरोप लगाने की धमकी देकर अनेकों पुरुषों से लाखों रुपयें ऐंठ चुकी थी और इनकी मांगे पूरी ना कर पाने वाले कई निर्दोष पुरुषों को जेल भिजवा चुकी थी। मेरा मत ये है कि इन घटनाओं के आधार पर ये क्यों न कहा जाए कि सभी महिलाएँ संभावित ब्लैकमेलर हैं या अंग्रेजी में All women are potential blackmailers.