मिलिंद देवडा कांग्रेस छोडकर शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। महाराष्ट्र जैसे बडे राज्य में यह कांग्रेस के लिए एक बडा झटका तो है ही लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि देवडा राहुल गांधी की उस कथित कोर टीम के सदस्य थे जिसमें अब सिर्फ सचिन पायलट बचे हुए हैं। इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया, आर पीएन सिंह, जितिन प्रसाद इत्यादि नेता पहले ही कांग्रेस का साथ छोड चुके हैं जिन्हें राहुल गांधी की कोर टीम माना जाता था।
मिलिंद देवडा के शिवसेना में जाने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में ये चर्चाएं भी जोरों पर है कि उनके साथ कांग्रेस के कुछ अन्य नेता भी शिवसेना में शामिल हो सकते हैं। इनमें सबसे प्रमुख नाम महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नसीम खान का है। इसके अलावा देवडा के संसदीय क्षेत्र मुंबई दक्षिण के कुछ कारपोरेटरों के भी शिवसेना का दामन थाम लेने की चर्चाएं हैं।
मिलिंद देवडा 2004 व 2009 में मुंबई दक्षिण से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैंI हालांकि 2014 व 2019 में वह भाजपा और शिवसेना के संयुक्त प्रत्याशी अरविंद सावंत से हार गए थे जो अब शिवसेना के उद्धव गुट में हैं। 2024 में भी वह मुंबई दक्षिण से ही चुनाव लडना चाहते हैं।
राजनीतिक हलकों में चर्चाएं हैं कि देवडा ने पहले भाजपा से भी संपर्क किया था। लेकिन भाजपा की तरफ से उन्हें मुंबई दक्षिण से टिकट देने का कोई आश्वासन नहीं दिया गया। इसके बाद वह शिंदे गुट में शामिल हो गए।
वहीं दूसरी ओर एकनाथ शिंदे पहले से ही ऐसे किसी बडे नेता की तलाश में थे जो उनकी पार्टी का कामकाज दिल्ली में प्रभावी तरीके से देख सके। देवडा इस मामले में हर लिहाज से सक्षम नेता हैं। वह कांग्रेस के सहकोषाध्यक्ष रह चुके हैं और दिल्ली व मुंबई की बिजनेस लॉबी में भी अच्छी पकड रखते हैं। इसलिए देवडा का आना शिंदे के लिए बेहतरीन मौका साबित हो सकता है।
एकनाथ शिंदे ने हालांकि मिलिंद देवडा के लिए अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन उनके पास दो विकल्प हो सकते हैं। पहला यह कि वे देवडा को मुंबई दक्षिण सीट से लोकसभा का प्रत्याशी घोषित करें। उन्हें अरविंद सावंत के सामने एक मजबूत प्रत्याशी की निश्चित ही आवश्यकता होगी।
दूसरा विकल्प यह हो सकता है कि शिंदे देवडा को राज्यसभा भेज दें। राज्यसभा में अभी शिवसेना की तरफ से अनिल देसाई सांसद हैं, जिनका कार्यकाल समाप्त होने वाला है। देसाई अभी उद्धव गुट में हैं लेकिन विधायकों के संख्या बल के हिसाब से राज्यसभा में शिवसेना का अगला सांसद निश्चित तौर पर शिंदे गुट से ही होगा।
वहीं कांग्रेस के लिए देवडा का जाना एक बडा झटका तो है ही, यह राहुल गांधी के कथित युवा नेतृत्व पर भी सवाल खडे करता है, क्योंकि देवडा राहुल गांधी की उस कोर टीम के सदस्य थे जिसके बारे में बडे बडे दावे किए गए थे। राहुल की इस टीम में ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट, अल्पेश ठाकोर, मिलिंद देवडा इत्यादि शामिल थे। अब इनमें से सिर्फ सचिन पायलट कांग्रेस में बचे हैं और वे भी मूंह फुलाए बैठे हैं।
यह सब देखते हुए ये सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब राहुल गांधी अपनी कोर टीम को इकट्ठा रख पाने में सक्षम नही हैं तो वह कांग्रेस जैसी बडी पार्टी का नेतृत्व कर पाने में कैसे सक्षम हो सकते हैं। कांग्रेस के पिछले अनेकों चुनावों में प्रदर्शन ने राहुल गांधी की इस अक्षमता को साबित भी किया है। ऐसे में उचित तो यही होगा कि राहुल गांधी कांग्रेस के युवा नेताओं में मची भगदड को रोकने के लिए या तो कुछ प्रभावी कदम उठाएँ या फिर पार्टी हित में इस्तीफा देकर मार्गदर्शक मंडल का गठन करें। अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब कांग्रेस बूढों की पार्टी बन जाएगी क्योंकि आयु तो राहुल गांधी की भी बढ ही रही है। आखिर कब तक खुद को युवा कह पाएंगे?